मेरी लेखनी, मेरी कविता
ये बसंत, ये बसंत
(कविता) बसंत महिमा
ये बसंत ,ये बसंत,
जीवन की है, नवीनता चहुुँओर दिगदिगंत ।
ये बसंत, ये बसंत ।।
सूरज की रोशनी ,
फैली है फिजाँ में,
विहगों की कलकलाहट सतरंगी जहांँ में।
माँँ भारती का आंँचल, फैला हुआ अनंत।
ये बसंत, ये बसंत।।
जिस और देखता हूंँ, नवचार नजर आए,
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ये बसंत, ये बसंत
(कविता) बसंत महिमा
ये बसंत ,ये बसंत,
जीवन की है, नवीनता चहुुँओर दिगदिगंत ।
ये बसंत, ये बसंत ।।
सूरज की रोशनी ,
फैली है फिजाँ में,
विहगों की कलकलाहट सतरंगी जहांँ में।
माँँ भारती का आंँचल, फैला हुआ अनंत।
ये बसंत, ये बसंत।।
जिस और देखता हूंँ, नवचार नजर आए,
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