मेरी लेखनी ,मेरी कविता
कविता (वृक्ष की वेदना)
सिर्फ मेरा ही नहीं था,वो सजर तेरा भी था ।जिसको लूटा इस कदर ए दोस्त घर तेरा भी था।
सिर्फ मेरा ही नहीं था वह सजर तेरा भी था ।
पत्थरों को सर झुकाने का चला है सिलसिला, क्या पता किसको मिला है क्या सिला ...
जिसको पूजा उम्र भर
वो रहनुमा तेरा भी था |
सिर्फ मेरा ही नहीं था
वो सजर तेरा भी था ।
आँधियों के रास्ते में,
तुम खड़े क्या सोचकर खौफ खा ले जाएंगी ये आँधियां सब नोंच कर तन पै तेरे जो पडा था व
कविता (वृक्ष की वेदना)
सिर्फ मेरा ही नहीं था,वो सजर तेरा भी था ।जिसको लूटा इस कदर ए दोस्त घर तेरा भी था।
सिर्फ मेरा ही नहीं था वह सजर तेरा भी था ।
पत्थरों को सर झुकाने का चला है सिलसिला, क्या पता किसको मिला है क्या सिला ...
जिसको पूजा उम्र भर
वो रहनुमा तेरा भी था |
सिर्फ मेरा ही नहीं था
वो सजर तेरा भी था ।
आँधियों के रास्ते में,
तुम खड़े क्या सोचकर खौफ खा ले जाएंगी ये आँधियां सब नोंच कर तन पै तेरे जो पडा था व
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