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तू मेरा कभी था ही नहीं (कविता)

मेरी लेखनी मेरी कविता
तू मेरा कभी था ही नहीं
(कविता)

कुछ कहना था
 तुमने सुना ही नहीं।

हाथ बढ़ाया तो था
 तुमने थामा ही नहीं।

तेरे संग चलना था
 तू रुका ही नहीं। 
  
रास्ते तो हमने बदले थे
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