मेरी लेखनी, मेरी कविता
"तू चंँचल, तू अविरल
तू नदियों की रानी"
(कविता) सदानीरा
गंँगा मां
तू चंँचल
तू अविरल
तू नदियों की रानी।
तू अविराम आंँगन के आंँचल की रानी ।।
तू मेघों का संँबल
तू दिनमान वानी
सदा ही रही है ,
तू पावन धरा पर
ऋषियों के साधन की निर्मल कहानी।
तू चंचल, तू अविरल
तू नदियों की रानी।
तू अविराम आँगन के आंँचल की रान
"तू चंँचल, तू अविरल
तू नदियों की रानी"
(कविता) सदानीरा
गंँगा मां
तू चंँचल
तू अविरल
तू नदियों की रानी।
तू अविराम आंँगन के आंँचल की रानी ।।
तू मेघों का संँबल
तू दिनमान वानी
सदा ही रही है ,
तू पावन धरा पर
ऋषियों के साधन की निर्मल कहानी।
तू चंचल, तू अविरल
तू नदियों की रानी।
तू अविराम आँगन के आंँचल की रान
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