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थोड़े से नरम मिजाज बनो (कविता)

मेरी लेखनी मेरी कविता 
थोड़े से नरम मिजाज बनो
(कविता) शिक्षक विशेषांक 

कलम हाथ में
लेकर अपने
जीवन की पतवार बनो ।।
थोड़े बनो कठोर मगर
 थोड़े से नरम मिजाज बनो।।  

कोमल स्वभाव बच्चों का है 
 लेकिन बस इतना याद रहे
 ऊंँच नीच और सच्चाई
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