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थोड़ा दुनियाँ से हटकर चल (कविता)

मेरी लेखनी मेरी कविता 
थोड़ा दुनियाँ से हटकर चल
( कविता)प्रेरणा विशेषांक 

थोड़ा दुनियाँ से हटकर चल
 कुछ करना है तो डट कर चल
 लीक पर तो सभी चल लेते हैं
 कभी इतिहास को पलट कर चल।।

बिना काम के मुकाम कैसा, 
बिना मेहनत के दाम कैसा।
जब तक ना हासिल हो मंजिल
राह में आराम कैसा ।।

अर्जुन सा निशाना रख
मन में न कोई बहाना रख।
लक्ष्य सामन
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