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तेरी जुल्फों के साए में

मेरी लेखनी मेरी कविता 

तेरी जुल्फों के साए में
सिमट जाने को जी चाहे,
तेरे दामन की दुनियाँ में
 लिपट जाने को जी चाहे ।।

तेरे होठों की लाली का 
 तसव्वुर खूब देखा है ,
तेरी सागर  सी आंँखों में
उतर जाने को जी चाहे। 

 तेरी जुल्फों के साए में
 सिमट जाने को जी चाहे ।।

तेरे माँथे की बिंदिया का
नूर कुछ और होता है,
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