
मेरी लेखनी मेरी कविता
तेरा यह मिजाज समझ नहीं आया
(कविता)
तेरे मिलने का दस्तूर
समझ नहीं आया,
मेरा था क्या कसूर
मुझे समझ नहीं आया।।
खता मेरी थी
या गुनहगार तुम ,
मुझे तुम्हारा यह अंदाज
समझ नहीं आया
तेरा यह मिजाज समझ नहीं आया
(कविता)
तेरे मिलने का दस्तूर
समझ नहीं आया,
मेरा था क्या कसूर
मुझे समझ नहीं आया।।
खता मेरी थी
या गुनहगार तुम ,
मुझे तुम्हारा यह अंदाज
समझ नहीं आया
Read More! Earn More! Learn More!