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पाठ प्रेम का पढ़े चलो (कविता)

मेरी लेखनी मेरी कविता 
पाठ प्रेम का पढ़े चलो
 (कविता)

फूल बिछे हों या हों कांटे 
राह न अपनी छोड़ो तुम
चाहे जो भी विपदा आएँ
मुख को जरा न मोडो तुम ।।

साथ रहें या रहें न साथी 
हिम्मत कभी न छो
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