मेरी लेखनी ,मेरी कविता
मांँ जन्नत का फूल है। (कविता)
साया बनकर
साथ निभाती
चोट न लगने देती
पीड़ा अपने ऊपर लेती
सदाँ सदाँ स
मांँ जन्नत का फूल है। (कविता)
साया बनकर
साथ निभाती
चोट न लगने देती
पीड़ा अपने ऊपर लेती
सदाँ सदाँ स
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