
मेरी लेखनी मेरी कविता
मैं जिंदगी हूंँ पगले
(कविता) जिंदगी विशेषांक
कल एक झलक जिंदगी को देखा
वह राहों पै मेरी गुनगुना रही थी।
फिर ढूंँढा उसे इधर उधर
वो आंँख मिचोली कर
मुस्करा रही थी।।
एक अर्से बाद आया
मेरे मन को करार ,
वो शहला के मुझको
मैं जिंदगी हूंँ पगले
(कविता) जिंदगी विशेषांक
कल एक झलक जिंदगी को देखा
वह राहों पै मेरी गुनगुना रही थी।
फिर ढूंँढा उसे इधर उधर
वो आंँख मिचोली कर
मुस्करा रही थी।।
एक अर्से बाद आया
मेरे मन को करार ,
वो शहला के मुझको
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