मेरी लेखनी मेरी कविता
मैं औरत हूंँ (कविता)
दिल में बस जाए
वह मोहब्बत हूंँ
कभी बहन कभी
ममता की मूरत हूँ।
मेरे आंँचल से
बने चांँद सितारे
मैं अपने आप में
रब की एक मूरत हूंँ।
हर दर्द छुपा लिया सीने में
जुबां पर ना
मैं औरत हूंँ (कविता)
दिल में बस जाए
वह मोहब्बत हूंँ
कभी बहन कभी
ममता की मूरत हूँ।
मेरे आंँचल से
बने चांँद सितारे
मैं अपने आप में
रब की एक मूरत हूंँ।
हर दर्द छुपा लिया सीने में
जुबां पर ना
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