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मेरी लेखनी मेरी कविता
महाराणा सा बीर बनो
(कविता) वीरता विशेषांक
महाराणा सा बीर बनो
प्राणी तुम गंभीर बनो
आन बान की खातिर जिसने
अपना सब कुछ छोड़ा।
सारे सुख मिट गए
मगर ना सच्चाई को छोड़ा।।
ऐसे वीर पुरोधा की तुम
आन बान का मूल बनो ।।
महाराणा सा बीर बनो
प्राणी तुम गंभीर बनो।।
सब कुछ जिसने त्याग दिया
ना कर्मठता को छोड़ा
मातृभूमि की खातिर जिसने
राजमुकुट भी छोड़ा ।।
सारा लालच त्याग दिया
महाराणा सा बीर बनो
(कविता) वीरता विशेषांक
महाराणा सा बीर बनो
प्राणी तुम गंभीर बनो
आन बान की खातिर जिसने
अपना सब कुछ छोड़ा।
सारे सुख मिट गए
मगर ना सच्चाई को छोड़ा।।
ऐसे वीर पुरोधा की तुम
आन बान का मूल बनो ।।
महाराणा सा बीर बनो
प्राणी तुम गंभीर बनो।।
सब कुछ जिसने त्याग दिया
ना कर्मठता को छोड़ा
मातृभूमि की खातिर जिसने
राजमुकुट भी छोड़ा ।।
सारा लालच त्याग दिया
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