
मेरी लेखनी, मेरी कविता
"लिखा परदेश किस्मत में, तो घर बार क्या करना? (कविता)
लिखा परदेश किस्मत में
तो फिर घर बार क्या करना?
अगर बेदर्द हाकिम हो।
तो फिर फरियाद क्या करना?
परायों की वफाओं का
कसीदा पढ़ते जाना है।
मगर अपनों की बेकद्री का
जिक्रे आम क्या करना?
अगर बेदर्द हाकिम हो
तो फिर फरियाद क्या करना?
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"लिखा परदेश किस्मत में, तो घर बार क्या करना? (कविता)
लिखा परदेश किस्मत में
तो फिर घर बार क्या करना?
अगर बेदर्द हाकिम हो।
तो फिर फरियाद क्या करना?
परायों की वफाओं का
कसीदा पढ़ते जाना है।
मगर अपनों की बेकद्री का
जिक्रे आम क्या करना?
अगर बेदर्द हाकिम हो
तो फिर फरियाद क्या करना?
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