मेरी लेखनी मेरी कविता
किसी के दर पै यूँ जाना
हमें अच्छा नहीं लगता ।।
(कविता )
किसी के दर पर यूंँ जाना
हमें अच्छा नहीं लगता ।
जहां हर शख्स काबिल हो
मगर सच्चा नहीं लगता।।
कि हम लोगों की फितरत का
कसीदा पढ़ नहीं सकते।
किसी के दर पै यूँ जाना
हमें अच्छा नहीं लगता ।।
(कविता )
किसी के दर पर यूंँ जाना
हमें अच्छा नहीं लगता ।
जहां हर शख्स काबिल हो
मगर सच्चा नहीं लगता।।
कि हम लोगों की फितरत का
कसीदा पढ़ नहीं सकते।
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