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मेरी लेखनी मेरी कविता
ख्वाब सतरंगी (कविता)
सतरंगी ख्वाबों की दुनियाँ
क्या-क्या खेल खिलाती है ?,
कभी रुलाती कभी हंसाती
क्या-क्या रोल कराती है ।
इस दुनियाँ की खातिर इंसां
जीवन भर खप जाता है,
सब कुछ पाने की चाहत में
आपा भी खो जाता है ।।
खट्टी मीठी है यह दुनियाँ
पल पल पर भरमाती है ।
सतरंगी ख्वाबों की दुनियाँ
क्या-क्या खेल खिलाती है?
कभी रुलाती कभी हँसाती
क्या-क्या रोल कराती है ।।
सोच, सोच अच्छे दिन आएँ
समय निकलता जाता है,
जीवन की होती जब संध्या
मनुज बहुत पछताता है।
कल इससे अच्छा दिन होगा
यही सोच भरमाती है ।
सतरंगी ख्वाबों की दुनियाँ
क्या-क्या खेल खिलाती है?
कभी रुलाती कभी हंसाती
क्या-क्या रोल कराती है ?
अपनेपन का खेल निराला
रिश्तो का जीवन है आला
देख
ख्वाब सतरंगी (कविता)
सतरंगी ख्वाबों की दुनियाँ
क्या-क्या खेल खिलाती है ?,
कभी रुलाती कभी हंसाती
क्या-क्या रोल कराती है ।
इस दुनियाँ की खातिर इंसां
जीवन भर खप जाता है,
सब कुछ पाने की चाहत में
आपा भी खो जाता है ।।
खट्टी मीठी है यह दुनियाँ
पल पल पर भरमाती है ।
सतरंगी ख्वाबों की दुनियाँ
क्या-क्या खेल खिलाती है?
कभी रुलाती कभी हँसाती
क्या-क्या रोल कराती है ।।
सोच, सोच अच्छे दिन आएँ
समय निकलता जाता है,
जीवन की होती जब संध्या
मनुज बहुत पछताता है।
कल इससे अच्छा दिन होगा
यही सोच भरमाती है ।
सतरंगी ख्वाबों की दुनियाँ
क्या-क्या खेल खिलाती है?
कभी रुलाती कभी हंसाती
क्या-क्या रोल कराती है ?
अपनेपन का खेल निराला
रिश्तो का जीवन है आला
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