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मेरी लेखनी ,मेरी कविता 
कर्मयोगी (कविता)

कर्म योगी बड़ा
 थोड़ा अनजान है।
 देश की धर्म की
  बड़ी शान है।
यह जो किसान है।। 

 अन्नदाता है तू
 सबका भ्राता है तू,
  भारती की
 तू पहचान है।
 कर्म योगी बड़ा
 थोड़ा अनजान है ।।

पालता है सबको
खिलाता है सबको,
 भूखा सोता कभी
दवा रखे सभी
मन में अरमान हैं।
 कर्म योगी बड़ा
 थोड़ा अनजान है ।।

रातों को जगता है
 हर प्रयास करता है,
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