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कैसी ल "हालाते जन्नत "(कविता)14 फरवरी शहीद विशेषांक(2 साल पहले की )

मेरी लेखनी, मेरी कविता 
हालाते जन्नत( कश्मीर )
14 फरवरी
 पुलवामा शहीदों को समर्पित( कविता)
(2 साल पहले लिखी गई )

भारतवासी देख लीजिए
 येे कैसी लाचारी ।
बड़बोले इन नेताओं पर
 गुस्सा आता भारी
येे कैसी लाचारी ।।

मैं भारत का एक अंँग हूंँ
 सबको यह बतलाऊंँ,
 नाफरमानी क्या होती है
 इसकी झलक दिखाऊँ।

 जन्नत की वादी का मैैं
 तुमको हाल बताऊंँ,
 नाफरमानी क्या होती है?
 इसकी झलक दिखाऊँ।

 फिजाँँ कभी थी
अमन चैन की
आज हुई बर्बादी,
 हाथों में संगीने लेकर
घूम रहे बगदादी।

 अमन चैन सब
खोया इसका,
 बढ़ गए अत्याचारी ।
भारतवासी देख लीजिए
 ये कैसी लाचारी ।।

पत्थरबाजी करने वालों को
 येे बच्चे कहते,
 भारत माता के वह प्रहरी
हरदम गोली सहते;

 ऐसे नेता देश भक्त ना
होते अत्याचारी।
 भारतवासी देख लीजिए
येे कैसी लाचारी ।।

भारत माता के सीने पर
जो गोली चलवाते, 
कुछ नेता इन मिलिटेंटों को
देशभक्त बतलाते ।

बॉर्डर पर रक्षा करना है
 नहीं काम आसानी ,
कुछ लोगों के लिए बन गया
 देशभक्त वह बानी।

 अचरज में हर हिंदुस्तानी
 कैसे बोल बोलते,
 कुछ नेताओं के भाषण से
 जिगरेे एक खून खौलते ।।

क्या मकसद,
क्या जीवन उनका
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