![कहीं प्यासा न मर जाऊंँ? (कविता)'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40harishankar-singh/None/1660309530364_12-08-2022_18-35-36-PM.png)
मेरी लेखनी मेरी कविता
कहीं प्यासा न मर जाऊंँ
( कविता)
रंग दो रंग में अपने
कोरा हूंँ सँँवर जाऊंँ।
होठों पर होठ रख दो ,
कहीं प्यासा न मर जाऊंँ।।
चूम कर बदन को होठों से
अपने गुल
कहीं प्यासा न मर जाऊंँ
( कविता)
रंग दो रंग में अपने
कोरा हूंँ सँँवर जाऊंँ।
होठों पर होठ रख दो ,
कहीं प्यासा न मर जाऊंँ।।
चूम कर बदन को होठों से
अपने गुल
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