
मेरी लेखनी मेरी कविता
कहीं प्यासा न मर जाऊंँ
( कविता)
रंग दो रंग में अपने
कोरा हूंँ सँँवर जाऊंँ।
होठों पर होठ रख दो ,
कहीं प्यासा न मर जाऊंँ।।
चूम कर बदन को होठों से
अपने गुल
कहीं प्यासा न मर जाऊंँ
( कविता)
रंग दो रंग में अपने
कोरा हूंँ सँँवर जाऊंँ।
होठों पर होठ रख दो ,
कहीं प्यासा न मर जाऊंँ।।
चूम कर बदन को होठों से
अपने गुल
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