
मेरी लेखनी मेरी कविता
कब तलक यह ख्वाब देखूं?
(कविता)
अर्थ जब खोने लगे
शब्द भी रोने लगे।।
वह बड़े कद में हुए
सब उन्हें बौने लगेंं।।
जख्म न देखे गए तब
अश्रु से धो
कब तलक यह ख्वाब देखूं?
(कविता)
अर्थ जब खोने लगे
शब्द भी रोने लगे।।
वह बड़े कद में हुए
सब उन्हें बौने लगेंं।।
जख्म न देखे गए तब
अश्रु से धो
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