झुकजा एै आसमांँ (कविता)'s image
351K

झुकजा एै आसमांँ (कविता)

मेरी लेखनी मेरी कविता 
झुक जा एै आसमांँ
(कविता)

झुक जा एै आसमांँ
 मुझे पैगाम लिखना है। 
समय की रेत पर
मुझको भी अपना
नाम लिखना है ।।

चली जो रेत की आंँधी
 उसे संँबल बनाना है ।
गिरे जो भाल वीरो का
उसे ताकत बनाना है।।
 चले थे बीर जिस भूमि
 उसी पर पैर रखना है।।
Read More! Earn More! Learn More!