जन्नत हमारी देखो, पैगाम दे रही है ।
(कविता) पैगामेे कश्मीर
जन्नत हमारी देखो
पैगाम दे रही है
छँट रहा है कोहरा,
बादल भी छँट रहे हैं।
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(कविता) पैगामेे कश्मीर
जन्नत हमारी देखो
पैगाम दे रही है
छँट रहा है कोहरा,
बादल भी छँट रहे हैं।
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