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हांँ मैं किसान हूंँ!

मेरी लेखनी मेरी कविता 
शब्द वेदना 

अपनी बेबसी पर हैरान हूंँ। 
हांँ मैं किसान हूंँ। 
पाग पग पर उजड़ा हूँँ,  लुटा हूंँ ,।।
 
दुनिया की भूख मिटाने को
 फिर भी तन कर खड़ा हूंँ।
 दुविधा मैं हूंँ, परेशान हूंँ।
हांँ मैं किसान हूंँ।।

किससे करूंँ शिकायत
 अरदास  किससे करूंँ।
गफलत में कैसे जियूंँ, 
लुट गई है मेहनत
 मैं हलकान  हूंँ। 
हांँ मैं किसान हूँ। 

गिरता हूंँ
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