
मेरी लेखनी मेरी कविता ,
चेहरे की कशिश (कविता)
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है,
मुझे खुश रहने की
वजह देता है।।
वो मेरा कौन है
मालूम नहीं
जब भी मिलता है
पहलू में जगह देता है ।
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है।।
मैं जब कभी अंदर से
टूट कर बिखरूूँ ,
वो मुझे थामने के लिए
हाथ बढ़ा देता है।
चेहरे की कशिश (कविता)
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है,
मुझे खुश रहने की
वजह देता है।।
वो मेरा कौन है
मालूम नहीं
जब भी मिलता है
पहलू में जगह देता है ।
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है।।
मैं जब कभी अंदर से
टूट कर बिखरूूँ ,
वो मुझे थामने के लिए
हाथ बढ़ा देता है।
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