![चंँचल जी पवन सर सर करती( कविता)'s image](/images/post_og.png)
चंँचल जी पवन
सर सर करती,
संदेश नया फैलाती ।
निज पथ
पर तू चलता जा बस,
हर मानव को सिखलाती ।
चंँचल सी पवन
सर सर करती ,
संदेश नया फैलाती।
हर दिवस नया नूतन तेरा
तू आगे बढ
सर सर करती,
संदेश नया फैलाती ।
निज पथ
पर तू चलता जा बस,
हर मानव को सिखलाती ।
चंँचल सी पवन
सर सर करती ,
संदेश नया फैलाती।
हर दिवस नया नूतन तेरा
तू आगे बढ
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