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चंँचल जी पवन सर सर करती( कविता)

चंँचल जी पवन
 सर सर करती, 
संदेश नया फैलाती ।

निज पथ
  पर तू चलता जा बस,
 हर मानव को सिखलाती ।

चंँचल सी पवन
 सर सर करती ,
संदेश नया फैलाती।

 हर दिवस नया नूतन तेरा
 तू आगे बढ
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