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बीता पल भुलाकर चलती हूंँ (कविता)

मेरी लेखनी मेरी कविता 
बीता पल भुलाकर चलती हूंँ
( कविता)

बीता पल भुलाकर चलती हूंँ
हर रोज चेहरे पर चेहरा
 लगाकर चलती हूंँ।

बीते कल की सारी बातें
 भुला कर चलती हूंँ, 
बहु हूंँ --पत्नी हूंँ-- मा
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