बिखरे हुए सपनों ने रुला दिया मुझको's image
137K

बिखरे हुए सपनों ने रुला दिया मुझको

मेरी लेखनी मेरी कविता 
बिखरे हुए सपनों ने रुला दिया मुझको 
(कविता) बेटी विशेषांक

धुआंँ बनाकर फिजाँ में
उड़ा दिया मुझको ।
मैं जल रही थी किसी ने
 बुझा दिया मुझको।।

तरक्कीयों का फसाना
 सुना दिया मुझको।
अभी हंँसी भी न थी
 कि रुला दिया मुझको।

खड़ी हूंँ आज भी
रोटी के चार हरफ लिए।
सवाल यह है कि किताबों ने
 क्या दिया मुझको ।।

सफेद रंग की चादर
&nb
Read More! Earn More! Learn More!