![बड़े-बड़े ईमान बिक गए( कविता)'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40harishankar-singh/None/1652437351339_13-05-2022_15-52-34-PM.png)
मेरी लेखनी मेरी कविता
बड़े-बड़े ईमान बिक गए
(कविता) मानव फितरत
ज्ञान बिकेे ,ध्यान बिक गए
कलम बिकी ,सम्मान बिक गए ।
छोटी-छोटी सुविधाओं पर
बड़े-बड़े ईमान बिक गए।।
सोच समझ कर मुंँह से बोलो
दीवारों के कान बिक गए ।।
उनसे पूछ जिंदगी क्या ह
बड़े-बड़े ईमान बिक गए
(कविता) मानव फितरत
ज्ञान बिकेे ,ध्यान बिक गए
कलम बिकी ,सम्मान बिक गए ।
छोटी-छोटी सुविधाओं पर
बड़े-बड़े ईमान बिक गए।।
सोच समझ कर मुंँह से बोलो
दीवारों के कान बिक गए ।।
उनसे पूछ जिंदगी क्या ह
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