""बंँदिशों की दुनिया,आदर्शों की छाया" (कविता)'s image
135K

""बंँदिशों की दुनिया,आदर्शों की छाया" (कविता)

मेरी लेखनी, मेरी कविता
"कभी बंँदिशों की दुनिया, कभी आदर्शों की छाया""  (कविता) शिक्षक विशेषांक 

कभी बंदिशों की दुनिया
कभी आदर्शों की छाया,
 ऐसा ही जीवन है
 मैंने (तूने) पाया।।

 दुनिया को
 जीना सिखलाता ,
खुद को
Read More! Earn More! Learn More!