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अब कोई किसी से बात नहीं करता (कविता )

मेरी लेखनी मेरी कविता 
अब कोई किसी से बात नहीं करता
(कविता)

दीवारों पर अब टेढ़ी  लाइने नहीं दिखती  
पुराने खेलो को खेलने का रिवाज नहीं 
मोबाइल ने छीना  है बचपन 
क्या खोया है उसका हिसाब नहीं?

गली नुक्कड़ पर बच्चों की लाइने नहीं दिखती 
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