यज्ञशयनी's image

जब धृतराष्ट्र की महासभा में,

द्युत क्रीड़ा आरम्भ हुई 

प्रलोभन की मोहमाया में,

युधिष्ठिर भी एक क्षण क़ो निष्ठुर हुआ,

परम परतापी युधिष्ठिर के कृत्य से,

पार्थ, भीम, नकुल, सहदेव,

पांचो भाई महासभा में,

लज्जित और नतशीष हुए,

षड़यंत्र में फंसकर ज्येष्ठ पाण्डु,

युधिष्ठिर क्षण भर बुद्धिहीन हुए,

युधिष्ठिर,पांचाली क़ो लगा दांव पर,

धर्म कर्म सब भूल गए,

पांचो भाई महासभा में

फिर लज्जित और नतशीष हुए,

प्रतिशोध की ज्वाला में जलकर 

दुर्योधन ने ये पाप किया 

सुनो दुशाशन अनुज मेरे,

दुर्योधन ने आदेश दिया 

केश पकड़ पांचाली के तुम 

भरी सभा में वस्त्रहीन करो,

निर्वस्त्र करने लगा दुशाशन चेहरे पर मुस्कान लिए,

पांचाली आओ जंघा पर बैठो, दुर्योधन ने आदेश दिया 

फफक फ़फ़क़ कर विनती कर पांचाली ने,

महामहिम, गुरु द्रोण और धृतराष्ट्र से मदद गुहार लगाई,

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