![परेशान हूँ's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40harish-vidrohi/None/1671695228878_22-12-2022_13-17-51-PM.png)
अँधेरे से भरे मन में,
एक उम्मीद की लौ जलाये बैठा हूँ!
हाँ ज़ी तो रहा हूँ मैं,
लेकिन जीवन से तंग आए हुए बैठा हूँ!!
ज़िन्दगी के समंदर में उठती लहरों में,
एक पुरानी कश्ती से आश लगाए बैठा हूँ!
मानता हूँ मुश्किल है कश्ती क़ो पार लगाना,
फिर भी हाथ में पतवार लिए बैठा हूँ!!
शतरंज की बिसात पर,
ज़िन्दगी क़ो दांव पर लगाए बैठा हूँ!
हार तो गया हूँ मैं बहुत कुछ,
लेकिन
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