
केशव ने कहा!
हे अंगराज कर्ण !
एक समय था जब पृथ्वीर के पुत्र कार्तवीय अर्जुन नाम के एक क्षत्रिय राजा ने महर्षि जमदग्नि की हत्या कर दी महर्षि के पुत्र ने क्या किया जानते है आप,
उन्होंने अपनी पीड़ा में भी विचार किया कि क्यों उनके पिता महर्षि जमदग्नि की हत्या की गई
कहाँ फैला था अधर्म?
उन्होंने अपनी पीड़ा का विस्मरण कर दिया
समग्र समाज की पीड़ा को अपना लिया
और अधर्मी क्षत्रियो का नाश कर
समग्र आर्यावर्त्त को शुद्ध करने को अपना जीवन मंत्र बना लिया..,
वो केवल अपना प्रतिशोध लेकर बैठते तो आज भगवान परशुराम नहीं कहलाते
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