
यूँ ही नहीं कोई धरती का भगवान बन जाता है …..
अपना शुकून, अपनी आजादी,
न दिन, न रात
सब कुछ दांव पर लगाता है
यूँ ही नहीं कोई...
टूटे फूटे अंग प्रत्यंग, फटे लटकते घाव,
चीखते चिल्लाते लोगों को
ढांढस का मरहम लगाता है
यू हीं नहीं कोई...
आंखों में पीड़ा, च
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