अब दिल्ली में वो बात नहीं
यहां अब दिल लगता नहीं
याद आता है बचपन
का वो पुराना घर
दादी नानी को वो कहानियां
दुआरे पर लगा वो नीम का पेड़
जिसपे चढ़ते हुए कई बार गिरे थे
झूला झूलते दिन रात ना देखते थे
सुनी है वो रातों कि छत
जहां गूंजा करती थी कहानियां
वो बचपन में सबका छत पर
एक स
यहां अब दिल लगता नहीं
याद आता है बचपन
का वो पुराना घर
दादी नानी को वो कहानियां
दुआरे पर लगा वो नीम का पेड़
जिसपे चढ़ते हुए कई बार गिरे थे
झूला झूलते दिन रात ना देखते थे
सुनी है वो रातों कि छत
जहां गूंजा करती थी कहानियां
वो बचपन में सबका छत पर
एक स
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