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"अजनबी महबूबा"
हम तुझे जानते न थे पहले
तुझको पहचानते न थे पहले
आज तुझको जो जान पाए हैं
मेरे अशआर जगमगाए हैं
तू कोई आन बान वाली है
तू हसीनों में शान वाली है
तू समंदर सा गहरा पानी है
तेरे होने से सब कहानी है
तू मिला है मुझे मनाने से
आज मैं ख़ुश हूॅं तेरे आने से
तुझको मैं रास्ता अगर कह दूॅं
तुझको जीने का गर हुनर कह दूॅं
तुझको अपनी मता-ए-जाॅं कह दूॅं
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