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अनुप्रास अलंकार

नर्म नूपुर नतमस्तक होकर,
आकृति मोहक बनाता है।
कश्ती का कुम्हार कुंवारा,
घर्षण पर दाँव लगाता है।।

मन मृदुल मोह का मारा,
रश्मि उषा से चुराता है।

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