थोड़ा सा बचपन's image
103K

थोड़ा सा बचपन

जब उम्र के पड़ाव


गुज़रते जाएंगे


मील के पत्थरों की तरह


तेज़ रफ्तार से भाग रहे


इस जीवन में ।



और घड़ी की


रूकी हुई सुइयों में


जबरन रोके जाने के बावजूद


आ पहुंचेगा


घर की चौखट पर


दस्तक देने वो समय...


जब आंखें देख सकेंगी


बस मन के भीतर ।



और आंखों पर चढ़े चश्मे भी


शायद तब न देखना चाहेंगे


बाहर की आभासी


दुनिया की चहल पहल ।



जब आवाज़ें भी


गुज़र जाएंगी धुएं की तर


कानों के पास से

Tag: कविता और2 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!