ईश्वर ने जब सृष्टि को रचा
किसी भी चीज़ को
रंग से ख़ाली न रखा
छोड़ दिया बस पानी
बेरंग बेस्वाद ।।
इस ज़्यादती पर
बहुत रोया पानी ।।
उसके आंसुओं में
भी स्वाद था
नमक का ।।
उसकी ईश्वर से नाराज़गी
जायज़ थी ।।
पानी घुल रहा था अपनी उदासियों में
और उदासियां घुल रही थीं
सृ
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