एक पहर जब
चुभ जाता हैं सीने में
और दर्द बेतरह होता है
हथेलियों से
छिटक जाती हैं
मुस्कुराहटे
अब दिन में उजास नही
शामे सहमी सी
और रातों का गहराता हुआ रहस्य
इन सब बातों की
रिपोर्ट नही आती
बस डॉक्टर सर झुकाकर
कुछ लिखता
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चुभ जाता हैं सीने में
और दर्द बेतरह होता है
हथेलियों से
छिटक जाती हैं
मुस्कुराहटे
अब दिन में उजास नही
शामे सहमी सी
और रातों का गहराता हुआ रहस्य
इन सब बातों की
रिपोर्ट नही आती
बस डॉक्टर सर झुकाकर
कुछ लिखता