कुछ चंद दिनों की बात है।
घन्टोबर अखबार पड़ते थे।
काम करके खुश होते थे।
सिनेमा देखने जाते थे।
बच्चों को माल में घुमाते थे।
पसंद की खाना मंगवाते थे।
कभी कभी घर मे भी खाते थे।
बीमार पड़नेपर तो डॉक्टर के पास दौड़त थे।
आज कल स्तिथी बदल गया है।
बाहर जाना माना है।
घर मे बैठ कर काम करते है।
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