
जीवन की पटरी पर
दौड़ती सपनों की रेल
कामनाओं की रेस में
चलता साँसों से खेल
उम्र के स्टेशनों को
करती हुई पार
चढ़ते-उतरते हैं
यादों के सवार
कुछ पलों को बन जाते हैं
कई दोस्त यार
थोड़ी देर को
मिल जाता है
जैसे नया परिवार
हम मुस्कुराते हैं
अपनी कहानी बताते हैं
एक दूजे को सहज ही
अपना बनाते हैं
कर लेते हैं समझौता
किसीका दुःख देखकर
नीचे की सीट देकर
हम चले जाते हैं उपर
बाँटकर खाते हैं अपनी
बिस्किट, पूरी अचार
खेलते हैं लूडो,चेस
अंताक्षरी, व्यापार
सबको पता है कि
सबकी
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