थकान
बढ़ रही है
समय दर समय
दिन ब दिन
बहुत आगे
बढ़ चुकी है ये थकान
जिम्मेदारियों को
ढोते-ढोते
हो जाती है
सुबह से शाम
सपनों के पीछे
भागते-भागते
न चैन न आराम
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थकान
बढ़ रही है
समय दर समय
दिन ब दिन
बहुत आगे
बढ़ चुकी है ये थकान
जिम्मेदारियों को
ढोते-ढोते
हो जाती है
सुबह से शाम
सपनों के पीछे
भागते-भागते
न चैन न आराम