
न जन्नतों की चाह है न मोक्ष की तलाश मुझे
तेरी एक झलक को, कब से बस प्यास मुझे।
न बाँसुरी की धुन सुनी,न कुंज की गलियों में फिरी
फिर भी तुझसे मिलन को है राधा सी ही चाह रही।
तू ओझल है पर मन में पल-पल है बसा रहता,
ये नयन अश्कों से तेरा नाम है लिखता रहता।
मैं जाग रही हूँ उस प्रेम में जिसमें सोना गुनाह है,
मैं जी रही हूँ इसलिए कि तेरी यादों की पनाह है।
रातों की चुप्
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