
अंत हो जाए मेरा
या अनंत में खो जाऊँ
रंग सारे मुझमें हों
या मैं रंगहीन हो जाऊँ
दीपक की बाती बना
जला,ज्योति बन जाऊँ
अहम् गलित हो मेरा
तो ब्रह्म को जान जाऊँ
या सत्य
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अंत हो जाए मेरा
या अनंत में खो जाऊँ
रंग सारे मुझमें हों
या मैं रंगहीन हो जाऊँ
दीपक की बाती बना
जला,ज्योति बन जाऊँ
अहम् गलित हो मेरा
तो ब्रह्म को जान जाऊँ
या सत्य