
रौशनी की तलाश में हूँ
मिल नहीं रही मुझे
रोज़ दियासलाई सुलगाती हूँ
हर शाम दीया भी जलाती हूँ
बंद करके आँखें
अपनी प्रार्थनाओ
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रौशनी की तलाश में हूँ
मिल नहीं रही मुझे
रोज़ दियासलाई सुलगाती हूँ
हर शाम दीया भी जलाती हूँ
बंद करके आँखें
अपनी प्रार्थनाओ