
वक्त
हर नए को पुराना कर देता है
कभी गाँव के कच्चे मकानों के बीच
यही मकान पक्का था
लोग आते-जाते इसे
हसरत भरी नज़र से देखा करते
इसमें रहनेवाले परिवार को
भाग्यशाली कहते
कुछ द्वेष से जलते-कुढ़ते
कुछ लोग अपने पक्के मकान
होने की मन्नतें माॅंगते
कुछ अपने बच्चों को
पढ़ लिखकर बड़ा आदमी
बनने की नसीहत देते
कुछ अपने कच्चे घर में ही
संतोष पाते और
ईश्वर के हाथों सब सौंप देते
फिर धीरे धीरे समय बीतता गया
लोगों की कुछ की मन्नतें पूरी हुईं
कुछ के बच्चे अच्छा कमाने लगे
और गाँव में पक्के मकान
बनने लगे
इससे भी बड़े ओर आलीशान
जैसे-जैसे पक्के मका
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