
जहाँ मन भय से मुक्त हो,
वहाँ मेरी आत्मा हर प्रात: जागे।
सत्य की रोशनी में भीगी हुई,
हर इच्छा शांति के स्वर डूबी हुई।
जहाँ शब्द हृदय से निकलें,
और कर्म धर्म का रूप धरें।
जहाँ विचारों की धार सजीव हो,
और संकल्प कभी न मरें।
जहाँ प्रेम हो निराकार,
न हो कोई बंधन, न दीवार।
जहाँ आत्मा हो शांत स
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