
मैं जो कुछ हूँ
माँ प्रकृति से हूँ
प्रकृति ने ही मुझे गढ़ा
अपनी मिट्टी से
आकाश से
जल से
हवा से
और धूप से
मेरी रगो में बहता लहू
मेरी श्वास में आती प्राणवायु
सबकुछ मुझे प्रकृति ने
अपनी गोद में लेकर
बड़े प्यार से दिया है।
चारों ओर घिरे पहाड़ों ने
बहते झ
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