
कंकड़-कंकड़ जोड़कर बन जाए पहाड़।
कण-कण में भी बसा ताड़ सके तो ताड़।।
कदम-कदम चलकर ही मंज़िल होती पास।
लम्बा रास्ता देखकर मत हो जाना उदास।।
फूल-फूल से रस लेकर आती है मधुमक्खी।
कभी न माने
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कंकड़-कंकड़ जोड़कर बन जाए पहाड़।
कण-कण में भी बसा ताड़ सके तो ताड़।।
कदम-कदम चलकर ही मंज़िल होती पास।
लम्बा रास्ता देखकर मत हो जाना उदास।।
फूल-फूल से रस लेकर आती है मधुमक्खी।
कभी न माने